मैं, कोटखाई की गुड़िया

मैं, कोटखाई की गुड़िया, उर्फ़ तंबाखू की पुड़िया, चबाया, थूखा, और पैरों तले मसल दिया, क्या…! कुछ गलत कहा मैंने, यही तो हुआ, निकली थी मैं भी, स्कूल से अपने झूमती, खाना खुद बनाये, मां से कहूँगी, बस यही सोचती, चल रही थी, क्या क्या बहाने लगाउंगी, इसी उधेड़बुन में लगी हुई थी, काम जो … Continue reading मैं, कोटखाई की गुड़िया