सुख की तलाश में!
शाम का वक्त तो जैसे काटने को दौड़ता हो मुझे, आज भी इस अंधेरे की आदत जो ना थी मुझे, बत्ती जलाने से जो यूं रोशनी फैलती है, उस से संतुष्टि तो मिल जाती है पर आनंद नहीं, जिसकी तलाश में भटक रहा था आज भी। मैं कुर्सी पर बैठ कर बालकनी से बाहर का … Continue reading सुख की तलाश में!