“कलंकित तू, इंसान”
धुंधली पड़ गयी है नज़र, कान मैं भी पडा है असर, क्या…। कौन सी गलत कार, सुनकर भी न समझे, हुआ बलात्कार, हाल ये सिर्फ मेरा ही नही, आदत है, बात सुन दिल दहकता नहीं, कितने लोग, यूँ शैय्या पर लेट गए, ये तो अब आम सी बात है, न्यूज़ चैनल वाले से वो कह … Continue reading “कलंकित तू, इंसान”