आखिर क्यों?

क्यों तुझ से लड़ने पर, मैं खुद से लड़ जाता हूँ, क्यों तुझे दर्द देने से पहले, मैं खुद उस दर्द से गुजरता हूँ, तू मुझे मनाए, मुझ पे प्यार जताए, इस लिए, मैं तुझ से रूठ जाता हूँ, क्यों तेरी बातें ही काफी होती हैं, मेरे सीने को चीर जाने के लिए क्यों तेरे … Continue reading आखिर क्यों?

खुद की ही तलाश..।

एक अपना ही जहां उसका, खुश रहता था जिसमे हर समा, एहसास हुआ कि, हक़ीक़त नही वो, फिर भी राह ताके इंतेज़ार करता रहा..! मंज़र वो देख खुदा का दिल न पिघला, खुद में ही टूट गया उसका बाशिंदा..! टूटी वो आखिरी उम्मीद जो उपर वाले से था लगा बैठा, पंख टूट गए फिर भी … Continue reading खुद की ही तलाश..।

खामोशी मेरी ढाल..!!

हाँ मिल जाते है राही, जिंदगी के हर नए सफर पे, पर अक्सर जब मंज़िल बदलती है, तो अकेला ही चलता हूँ मै। यूँ तो खुश हूं मैं अपनी नई जिंदगी में, पर यादें, बीती बातें, आंखें छलका जाती हैं। दिख जाते है वो लोग जब पुराने, हंसते मुस्कुराते, अच्छा लगता है, पर दुख भी … Continue reading खामोशी मेरी ढाल..!!