खामोशी मेरी ढाल..!!

हाँ मिल जाते है राही,

जिंदगी के हर नए सफर पे,

पर अक्सर जब मंज़िल बदलती है,

तो अकेला ही चलता हूँ मै।

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यूँ तो खुश हूं मैं अपनी नई जिंदगी में,

पर यादें, बीती बातें, आंखें छलका जाती हैं।

दिख जाते है वो लोग जब पुराने,

हंसते मुस्कुराते, अच्छा लगता है,

पर दुख भी होता है कि कैसे,

हमारी जगह अब बदली जा चुकी है।

रोना चाहता हूं मैं, जो मैंने खो दिया है,

पर जिम्मेदारी उठाए बैठा हूँ, जो बो दिया है।

पीछे मुड़ कर देखूं भी तो कैसे,

जुगनू बन उड़ रहा हूँ, ओरो के आगे।

ये न समझ, तेरी याद नही आती ए बीती जिंदगी,

पर डरता हूँ, कहीं ये गम भुलाने में न बीत जाए।

जब मन करता है किसी पर दाग़ लगाने का,

शीशे मैं खड़े इंसान को देख लिया करता हूँ।

ढूंढ-ढूंढ के थक गया मैं जब उस को,

ओरों में, सोचा उस से ही कहूं आने को,

बातें बहुत सी है जो कहना चाहता हूं,

पर कैसे!!

मैं खामोशी को ढाल बनाए बैठा हूँ।        

dark_anki

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