भूल गया !!

(उम्र के साथ इंसान की स्मरण शक्ति कम होती जाती है, पर मुझे बचपन से भूल जाने की आदत थी, पर कभी माँ ने डांटा नही, कहती थी, बस दिमाग से थोड़ा कमजोर है, काश वो मुझे डांटती और मुझे समझाती! आज इसी पर आप सबके साथ एक स्वंय लिखित कविता सांझा करने जा रहा हुँ, आशा करता हूँ आप को पसंद आएगी, और आप भी इसे सांझा करे….।)

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उड़ानों में हुआ जो मशगूल,

वो आशियाना भूल गया।।

गैरों ने दो पल संग क्या बिठाया,

वो अपनो का ठिकाना भूल गया।।

अंबर से जो छूटा, वो तारा टूट गया,

एक निवाला इन हाथो से क्या खाया, 

मां के हाथों का स्वाद भूल गया।।

जो कभी पापा के कंधों पे झूला करता था,

सिर कैसे झुकाते हैं, वो आज भूल गया।।

रक्षाबन्धन पे जिससे राखी बंधवाता था,

आंच न आने दूंगा इस पर, कसमे खाता था,

मनाना कैसे है उस बहन को, वो भूल गया।।

सुना था कि सुबह का भूला शाम को,

लौट आए, तो उसे भूला नही कहा जाता,

पर बचपन मे सिखाई बाबा की बातें,

वो अब है भूल गया ।।

प्यार व संजीदगी से बनाया था,

घर जो अपनो के संग मिलकर,

ऐशो आराम की धूल में गुम कर,

वो आज अपने आप को, है भूल गया,

है भूल गया !!

(मेरे द्वारा खींची गई तस्वीर।)

               dark_anki

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