मैं, कोटखाई की गुड़िया

मैं, कोटखाई की गुड़िया,
उर्फ़ तंबाखू की पुड़िया,

चबाया, थूखा, और पैरों तले मसल दिया,

क्या…! कुछ गलत कहा मैंने,

यही तो हुआ,

निकली थी मैं भी,

स्कूल से अपने झूमती,

खाना खुद बनाये, मां से कहूँगी,

बस यही सोचती, चल रही थी,

क्या क्या बहाने लगाउंगी,

इसी उधेड़बुन में लगी हुई थी,

काम जो इतना ज्यादा था, आखिर,

मुझे भी, बड़ा इंसान जो बनना था,

जल्दी जल्दी मैं घर को बढ़ रही थी,

अपने ही ख्वाबों में झूम रही थी,

ये अपने अंकल तो ही थे,

बच्चों को रोज़ संग ले जाते थे,

जल्दी पहुंच जाऊंगी मैं घर,

शुक्रिया ऊपर वाले का कर रही थी,

अनजान थी में, सोच से उसकी,

पागल थी, उम्मीद जो लगाए बैठी थी,

रास्ते मुड़ गए, अचानक फिर,

विरोध करने पे, मुंह बंद कर दिया मेरा फिर,
हां मैं कोटखाई की गुड़िया,

पर नामर्दों ने पहनी थी, हवस की चूड़ियां,

शिकार बन गया, फिर,

ये मेरा फूल सा शरीर,

गिड़गिड़ाई मैं भी,

जान बक्श दो मेरी,

कुछ न किसी को कहूँगी,

चीख चीख कर मैं कहती रही,

पर अभी तो औरों की थी बारी,

लाइन मैं लगे थे, हवस के पुजारी,

चिथड़े न थे बदन पे मेरे,

खड़े थे वो मुझ को घेरे,

जाने दो मुझे, मैंने आवाज़ लगाई,

जो हलक से निकलते निकलते रह गयी,

पागल थी, उम्मीद जो लगाए बैठी थी,

समझा था जिनको बलात्कारी,

नकाब हटाया तो पाया, नरभक्षी,

जंगल की सुनसान जगह बनी क़ब्र,

फ़टी पड़ी स्कूल की वर्दी, मेरा कफ़न,

हां मैं कोटखाई की गुड़िया,
मैंने गलत किया,

जो यूँ ख्वाब सजा लिया,

इतना कैसे सोच लिया, आखिर,

क्यों बड़ा इंसान बनना था,

जल्दी जल्दी मैं जिंदगी गुजर गयी,

वो रूह छीन ले गए मेरी,

माना रोक लिया मेरे शरीर को,

पर कैसे रोकोगे,

इंसाफ मांगती इस आत्मा को,

इंसाफ मांगते मेरे माँ बाप को,

इंसाफ मांगती उस भीड़ को,

इंसाफ मांगती दुनिया की,

डर में दबी गुड़िया को,

कैसे रोकोगे आखिर,

मेरी चीख चीख कर इंसाफ मांगती आवाज़ को,

अब ओर नही,

मैं डरती नही,

मुझे शर्म नही आती,
ये कहते हुए कि, हाँ मैं हूँ कोटखाई की गुड़िया,

माना चंद पैसो में खरीद लिया,

तुमने यहां इंसान को,

कैसे खरीदोगे उसके ज़मीर को,

इंसानियत को,

इस भीड़ को,

मेरी बुलंद आवाज़ को,

नाम रोशन करने की चाह थी,

हुआ पर कुछ इस तरह,

मेरे मां बाप है रो रहे,

मेरे इंसाफ के लिए,

मैं हर लड़की की आवाज़ बनूँगी,

हर कंधे का सहारा बनूँगी,

इंसाफ का आंदोलन बनूँगी,

रोशनी करने वाला जुगनू बनूँगी,

हाँ मेरे नाम ने सबको एक किया,

हाँ मैं कोटखाई की गुड़िया….।

                                   ~dark_anki

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