अधूरे

नैन हैं यूँ तरस रहे,

उस मुसाफिर की तलाश में,

समझ गए थे, हम कब के,

राहे तराशते, वो हैं चल रहे,

मंज़िल मिल गयी होती, अगर उसे,

रुक जाता तो वो, मिलने पर मुझे,

खैर हम भी हठ लिए बैठें हैं,

वक़्त आएगा मिलन का, माने ये,

या तो इतिहास नया हम लिख देंगे,

या ख़ाक में बन ख़ाक देखते रहेंगे,

कि दिल की मैली माटीे, कब ये,

चरण को स्पर्श करेंगी तुम्हारे,

बादल रिमझिम फिर नीर बरसायें,

ख्वाब ए घोंसला, चिड़ियाँ बनाए,

मोती दर मोती वो चुनते जाएं

हम कड़ी दर कड़ी जोड़ते जाएं,

बैठे, फिर अनुमान लगाए,

फायदा कहीं हुआ भी है,

नुकसान हैं कितना झेल पाए,

फिर भी मुसाफिर की ताक लगाए,

आएगा वो इक दिन, ये आस लगाए,

या हमारे भी किस्से होंगे, 

पन्नो मैं, इश्क़ के ऊमंग भरे उपन्यास में,

मिलकर पूरे, हम हो पाएंगे,

या प्यास में ‘अधूरे’ रह जाएंगे.

dark_anki

       

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4 responses to “अधूरे”

    1. dark_anki Avatar

      Thnks buddy

      Like

  1. Vaibhaw verma Avatar

    बहुत खूब लिखा है आपने

    Liked by 1 person

    1. dark_anki Avatar

      धन्यवाद

      Liked by 1 person

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