दर्द से अपने, जो मिलने बैठा,
होठों पे मुस्कान, आँखों मे पानी कैसा,
कब से था मैं भाग रहा,
आज रास्ता रोके वो सामने खड़ा,
वो यादें, बातें, बीता जमाना,
कहा था उनसे याद न आना,
वक़्त ने लिया था, सब छीन,
जी रहा था, मैं भावनाहीन,
आज रोने का मन हो आया,
जो आए न कभी इन होठो पे,
लफ़्ज़ों को कहने का मौका पाया,
ख्वाहिश, इस दर्द में बह जाना,
पर समाज से लगाऊं क्या बहाना,
घूर रही कब से वो आँखे मुझे,
न जाने क्या छुपाए बैठा है ये,
मैं अब और न डरने वाला,
मुस्कुराहट वो झूठी, न पहनने वाला,
क्यों बोझ उठाए ये चलते रहना,
अकेला आया था, अकेले ही है चलना,
टूट के हूँ बिखर चुका, यही सच्चाई मेरी,
ये दर्द मेरा बस यही है, पहचान मेरी।
dark_anki
Leave a Reply