सत्य क्या, असत्य क्या,
मैं नहीं जानता।
कौन अपना, कौन पराया,
सुंदर किसकी काया, पैसो की कैसी माया,
रिश्तों के फ़रेब, खाली होती जेब,
किस थाली में छेद, कैसा है देश,
मैं नहीं जानता।
अतीत था क्या, भविष्य में होगा क्या,
किसका आया, किसका गया,
किसके पुण्य, किसके पाप
कौन छोड़ रहा, किस पे कैसी छाप,
मैं नही जानता।
किसको अहम, कैसा धर्म,
कौन से जखम, किसको वहम,
कैसी प्यासी, कौन सन्यासी,
कौन सा प्रेमी, कैसी प्रियसी,
मैं नहीं जानता।
हाँ जनता हूँ,
इस मैं भी, उसमे भी,
सब मैं है जान,
मैं भी, वो भी,
सब है, ‘इंसान’।
dark_anki