तोड़ के पिंजरा, जब वो निकला,
आंखों मैं आए आँसु, दिल ने रोका,
उड़ने दो, इसे अब नीले गगन मैं,
जितना उड़ता जाएगा, खुद को अकेला पाएगा,
इक न इक दिन, यादों में तेरी फिर,
किसी मोड़ पे, भूला लौट आएगा,
राह देखे उसकी, आंखें सूख गई,
छोटे से इस आंगन में, परछाई भी न पड़ी,
इंतेज़ार में उसके उसके, वक़्त मुंह मोड़ गया,
मिला था उमीदों का सहारा, वो साथ छूट गया,
आसमा से कोई, इक दिन गोदी में गिरा,
आंखें तो न रही, रूह ने पहचान लिया,
साँसे वो अपनी आखिरी गिन रहा था,
सूख गया था ये तलाब, बहने लगा,
होता न ये, अगर छोड़ के न जाता,
डांटते, बिलखते, उसको में कहने लगा,
मुस्कराते, वो आखिर कुछ लफ्ज़ कह पाए,
“ए यार, जीना ऐसे की मरने पे सुकून मिल जाये”
dark_anki
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