वो आएगा

मैं खोज मैं निकला था एक कहानी के, घूमते घूमते कश्मीर की वादियों मैं आ पहुंचा, कश्मीर की खूबसूरती बयान करना मेरी कलम के, बस मैं नहीं, आने से पहले डर भी रहा था, कश्मीर के बारे मे जानकर, पर मैं उस जगह से काफी दूर था, शांतिप्रिय और अतिसुन्दर जगह है ये, यहां हर चीज़ की अपनी कहानी है, बस चाहिए उन्हें कोई सुनने वाला, समझने वाला..।

शाम को सूरज डूबने से पहले पास वाली पहाड़ी पे जाकर बैठना, और फिर सूरज को ढलते देखना, मेरे नित्यक्रम मैं था, रोज की तरह मैं चल पड़ा अनकहे रास्ते पे, ये सोचता हुआ कि ये मुझे मेरी मंजिल पे पहुंचा देगा,

वहां पहुंचा तो पाया, कोई आज पहले से वहां बैठा था, ध्यान देने से मालूम हुआ कि कोई औरत वहां बैठी थी, आधी उम्र की लग रही थी, और कुछ बड़बड़ाये जा रही थी, मैं थोड़ा दूर सा बैठ गया, उसने मेरी तरफ़ नही देखा, पर वो अभी भी कुछ बड़बड़ा रही थी, मैंने एकटक ध्यान लगाया, उसकी आवाज़ मेरे कानों से टकराई, 

“वो आएगा”, “वो आएगा”…….. 

वो यही रट लगाए बैठी थी, मुझे बड़ी हैरानी हुई, पूछने को मन हुआ, पर वो क्या कहेंगी, ये सोच कर घबराया, पर जाने की उत्सुकता के कारण उनसे बात करना जरूरी समझा..।

“आपको पहले कभी यहां देखा नही” मैंने पूछा

पर कोई जवाब नही आया, मैं थोड़ा नजदीक गया, एक बार फिर पूछा, खामोशी वही की वही थी,

अब तो ये खामोशी मुझे काटने को दौड़ने लगी, मैने फिर एक बार हिम्मत जुटाई और पूछा 

“कौन आएगा” 

ये सुनकर उसने मेरी तरफ देखा, एक पल के लिए में सहम गया, उसका रंग सांवला था, कपड़े बहुत पुराने लग रहे थे, और बाल भी बहुत खराब थे, पर फिलहाल मझे उसके जवाब मैं दिलचस्पी थी, 

“अब्बास” उसका जवाब आया

“वो कौन है, और तुम यहाँ क्यों बैठे हो” मैंने उससे फिर पूछा

फिर से खामोशी छा गयी, हवा मेरे कानों मैं कुछ कहने लगी, जैसे वो सब जानती है, पक्षियों की चहचहाने की आवाज रुक गयी, जैसे वो भी सुनना चाहते हैं कि कौन है ये “अब्बास”

“अब्बास” ये नाम दिल को बहुत खरोच रहा था,और वो चुपचाप आसमा को देख रही थी, “अच्छा कुछ और बताओ न अब्बास के बारे मे” मैंने उससे फिर पूछा

उसने मेरी तरफ इस तरह ऐसे देखा जैसे न जाने मैने क्या पूछ लिया हो, फिर उसका जवाब आया, ” बाबू, तुम मेरी कहानी सुनना चाहते हो, पर क्यों, तुम भी उन लोगो की तरह मुझ पर हंसोगे” और वो मायुस हो गयी,

“ऐसा नही है, दरअसल मैं एक लेखक हूँ, और इस पल जानने का इच्छुक हूँ की आखिर क्या हुआ था,”

मैंने उसे समझाया। 

” बाबू, कई सालों बाद फिर किसी ने ये सवाल पूछा है, पर पहले ही चेतावनी दे रही हूं कि पागल मत हो जाना” उसकी आवाज काफी ठंडी थी, 

मैं थोड़ा हैरान हुआ, और वो हंस दी, फिर मैने इस तरह देखा कि वो अब सुनाएंगी अपनी कहानी, 

इक पल के लिए सब थम सा गया, वो सुनाने लगी,

बात उस वक़्त की है, जब शायना(उसने खुद की और इशारा किया) पे, जवानी का गरूर था, और हर गली मैं मेरा आशिक़ हुआ करता, और मैं किसी की और नजर उठा कर देखती भी न थी, फिर मेरी जिंदगी मैं अब्बास आया, एक खूबसूरत, लम्बा चोड़ा जवान गबरू, उसे देखते ही मैं उस पे फिदा हो गयी थी, और उसे मेरा मुस्कुराना बेहद पसंद था, धीरे धीरे दिल और नीयत दोनों ही फिसल गए, हम एक दूसरे को बेपनाह मोहब्बत करते थे, और एक दूसरे पे जान बरसते थे, एक बार उसे, अपने व्यापार के लिए मेला के लिए जाना था, और वो दूसरी तरफ था, और उसने वायदा किया था, कि मेरे लिए वो चांदी की पायल लाएगा, पर ये पैर सूना ही रह गया।

वो फिर शांत हो गयी, “फिर क्या हुआ”, मैने उससे पूछा

“अब रात हो आयी है, अब कल बताउंगी”, उसने मुझसे कहा “और हाँ बाबू मेरे बारे मे किसी से कहना मत, वरना वो आपको भी पागल कहेंगे”, मैंने चारो और देखा, सुनते सुनते वक़्त का पता ही न चला था, “हाँ मझे चलना चाहिए”, कहता हुआ मैं जैसे उसकी तरफ मुड़ा, तो वो जा चुकी थी,मैं भी उठ कर चल दिया, मन मैं कई सवाल थे, मैं उनकी सूची बनाने लगा, फिर ध्यान आया कि उसने, उसके बारे मे किसी से बात करने को मना किया, पर क्यों, लोग मुझे पागल, क्यों कहेंगे, ये सोचता सोचता मैं घर तक पहुंच गया, 

“साहब इतनी देर कैसे लगा दी आज अपने” राजू ने मुझसे पूछा, पर मैं खामोश रहा,

“क्या सोच रहे हो साहब,” उसने फिर पूछा 

मैने उससे बात घूमा कर पूछी,” राजू, कोई किसी शायना और अब्बास के बारे मे बात कर रहा था, मैं उससे पूछ नही पाया, क्या तुम कुछ जानते हो,” 

“जनता हूँ साहब,..” उसके बाद जो बात उसने मुझे बताई मेरे रौंगटे खड़े हो गए, उसने कहा ” काफी पहले इक लेखिका थी, शायना और अपनी एक कहानी को लिखते लिखते वो पागल हो गयी, उस कहानी का कुछ नाम था,”

वो सोचने लगा, “वो आएगा” मैने कहा

“हाँ यही, नाम था, कहते इस कहानी को लिखते-लिखते वो पागल हो गयी…” उसकी बात को काट कर मैने पूछा, अब वो कहाँ है,” मेरी बात सुनकर वो हंस पड़ा, “वो तो कब की मर चुकी है साहब”, “आप आइये खाना खा लीजिये” ये कहता हुआ, वो अंदर चला गया, मेरे तो मानो पैरो से जमीन खिसक गई, खाना खा कर मैं अपने बिस्तर पर लेट गया, और मन मनाया कि कल शाम फिर वहां जाऊंगा, और अगर वो फिर मिलेगी, तो सारी बात पूछुंगा, मन मे डर भी था, पर जानने की इच्छा सब पर हावी हो गयी, अगली शाम मैं फिर जाकर वहां बैठ गया, इंतेज़ार करता रहा, पर कोई न आया, वापिस आने को जब हुआ तो एक बड़ा सा पथर वहां पड़ा दिखा, कल तो ये था नही, आज कैसे, मैं देखने लगा कि वो कहां से आया, उसके दूसरी तरफ घूम कर देखा तो कुछ लिखा हुआ था 

             “बाबू, मैं पागल नहीं”

©dark_anki

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2 responses to “वो आएगा”

  1. Anchal Sharma Avatar
    Anchal Sharma

    Mysterious story

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