क्या है गलती मेरी, अगर हुँ मैं एक लड़की,
नन्ही सी चिड़िया की, बस उड़ने की ख्वाहिश थी
न किसी से दोस्तीे, न है कोई बैर,
दुनिया देख न पाती, होती न अगर थोड़ी देर,
न मेने कुछ मांगा, ना मांगूंगी कभी,
किसी के प्यार का हक़ था, बस तलाश रही वही,
सोच रही, क्या है गलती मेरी,
अगर उन्हें किसी ओर की आस थी,
पहले तो दिखाए थे, मुझे भी ख्वाब कईं,
वक़्त आने पर लगने लगी, अपनो की कमी,
बात उन्हें कोई, अंदर से खायी जा रही थी,
लड़का, काफी अच्छा है वो, माँ मुझे, है दिखा रही,
कंधों पे, पापा के झूला करती थी कभी,
बोझ लगने लगी हूँ आज, उनको मैं कहीं न कहीं,
कहते है सब, ये तो रीतितिवाज है सभी,
चाहती क्या हूँ, ये तो मायने रखता नहीं,
सोच रही हूँ कबसे, पर समझ न पाई अभी,
आखिर..! क्या है, गलती मेरी।
. ~dark_anki